
अहमदाबाद में हुए एयर इंडिया विमान क्रैश की जांच अब एक नए मोड़ पर पहुंच गई है। ब्रिटिश अख़बार डेली मेल की रिपोर्ट के अनुसार, एक मृतक के परिजनों को जो शव सौंपा गया था, वह DNA जांच में उस व्यक्ति से मेल ही नहीं खाया।
यानी जिन अवशेषों को परिवार अंतिम संस्कार के लिए तैयार कर रहा था, वे किसी और यात्री के निकले।
कैसे हुआ खुलासा? DNA जांच ने खोला राज
ब्रिटेन में परिवार जब अंतिम संस्कार से पहले DNA टेस्ट करवाता है, तो सामने आता है चौंकाने वाला सच—
“यह हमारे परिवार का सदस्य नहीं है!”
जैसे ही यह रिपोर्ट सामने आई, ब्रिटिश प्रशासन और भारत सरकार के कान खड़े हो गए। अब मामले की जांच भारत और लंदन दोनों जगह चल रही है।
भारत सरकार की प्रतिक्रिया: विदेश मंत्रालय ने क्या कहा?
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने स्पष्ट किया:
“हमने रिपोर्ट देखी है और जब से यह हमारे संज्ञान में आया है, हम ब्रिटिश अधिकारियों के लगातार संपर्क में हैं।”
उन्होंने कहा कि अहमदाबाद दुर्घटना के बाद शवों की पहचान प्रोटोकॉल और तकनीकी आधार पर की गई थी, और मृतकों की गरिमा का पूरा ध्यान रखा गया था।
भारत-ब्रिटेन रिश्तों पर असर? प्रधानमंत्री स्तर की चर्चा संभव
सूत्रों के अनुसार, यह मामला ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आगामी बैठक में उठाया जा सकता है। यह न केवल मानवीय संवेदनाओं का मामला है, बल्कि भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि से भी जुड़ा है।
क्या यह सिर्फ एक मामला है या और भी हो सकते हैं?
अगर एक शव की पहचान गलत हुई है, तो सवाल उठता है—
“क्या और शव भी गलत सौंपे गए हैं?”
यह संभावना भयावह और असहज है। अब ब्रिटिश और भारतीय अधिकारियों की संयुक्त जांच इस विषय की तह तक जाएगी।
तकनीकी चूक या सिस्टम फेलियर?
शवों की पहचान कोई मामूली काम नहीं—यह सम्मान, संवेदना और सटीकता का विषय है। अगर इसमें चूक हुई है, तो यह केवल एक व्यक्तिगत नुकसान नहीं, बल्कि सिस्टम पर बड़ा सवाल है।
अब देखना यह है कि
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क्या एयर इंडिया और संबंधित एजेंसियां इसकी ज़िम्मेदारी लेंगी?
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और क्या भारत सरकार इसकी गहराई से जांच कर दोषियों को चिन्हित करेगी?